नयी दिल्ली, 31 जुलाई (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली स्थित एक रियल्टर के सात परिसरों पर शुक्रवार को छापेमारी की। यह कार्रवाई एक पांच सितारा होटल के निर्माण में कथित अनियमितता तथा 800 करोड़ रुपये की कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी में उसके और उसकी कंपनी के खिलाफ मनी लौंड्रिंग के एक मामले में की गयी। ईडी ने एक बयान में कहा कि अमन हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड (एएचपीएल) और एंबियंस समूह की अन्य कंपनियों के कार्यालयों और इसके निदेशकों राज सिंह गहलोत, दयानंद सिंह, मोहन सिंह गहलोत तथा उनके सहयोगियों के आवासों पर तलाशी ली गयी। ईडी ने कहा कि राज
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भाषा | Updated:
नयी दिल्ली, 31 जुलाई (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली स्थित एक रियल्टर के सात परिसरों पर शुक्रवार को छापेमारी की। यह कार्रवाई एक पांच सितारा होटल के निर्माण में कथित अनियमितता तथा 800 करोड़ रुपये की कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी में उसके और उसकी कंपनी के खिलाफ मनी लौंड्रिंग के एक मामले में की गयी। ईडी ने एक बयान में कहा कि अमन हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड (एएचपीएल) और एंबियंस समूह की अन्य कंपनियों के कार्यालयों और इसके निदेशकों राज सिंह गहलोत, दयानंद सिंह, मोहन सिंह गहलोत तथा उनके सहयोगियों के आवासों पर तलाशी ली गयी। ईडी ने कहा कि राज सिंह गहलोत के निवास से विदेशी मुद्रा सहित 40 लाख रुपये की नकदी जब्त की गयी। उसने कहा, ‘‘तलाशी के दौरान कई दस्तावेज और डिजिटल सबूत भी जब्त किये गये।’’ एजेंसी ने बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम के तहत यह मामला दिल्ली में महाराज सूरजमल रोड पर लीला एंबियंस कन्वेंशन होटल के निर्माण व विकास अनियमितता को लेकर एएचपीएल और उसके निदेशकों के खिलाफ पिछले साल जम्मू भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी पर आधारित है। एजेंसी ने दावा किया, एक जांच में पाया गया कि 800 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण का बहुत बड़ा हिस्सा एएचपीएल, राज सिंह गहलोत और उनके सहयोगियों द्वारा अपने नियंत्रण की कई कंपनियों के जाल के माध्यम से गायब किया गया। यह ऋण बैंकों के एक समूह ने परियोजना के लिये आवंटित किया था। ईडी ने कहा कि इस ऋण का एक बड़ा हिस्सा एएचपीएल के द्वारा कई कंपनियों व व्यक्तियों को बिल के बदले अथवा कार्य व सामग्रियों की आपूर्ति के अग्रिम भुगतान के तौर पर हस्तांतरित किया गया। एंबिएंस समूह के कर्मचारियों तथा राज सिंह गहलोत के सहयोगियों को इन कंपनियों का निदेशक बनाया गया था। गहलोत इनमें से कई कंपनियों में अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता थे। जांच में पाया गया कि कोई सामग्री की आपूर्ति नहीं की गयी थी और कोई काम निष्पादित नहीं किया गया था। लगभग पूरी राशि तुरंत राज सिंह एंड संस एचयूएफ (हिंदू अविभाजित परिवार) और उसके भाई के बेटे के स्वामित्व वाली इकाइयों को हस्तांतरित कर दी गयी।
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