Chinese Researcher Tang Juan Arrested in US: अमेरिका ने शुक्रवार रात को सैन फ्रांसिस्को की डिप्लोमैटिक फेसेलिटी से तांग जुआन को गिरफ्तार किया है। एफबीआई ने 37 साल की इस चीनी महिला पर जासूसी का आरोप लगाया है। खुफिया एजेंसियां तीन और चीनी जासूसों की खोज कर रही हैं जो अमेरिका में ही कहीं छिपे हुए हैं।
Edited By Priyesh Mishra | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:
चीनी महिला जासूस
हाइलाइट्स
अमेरिका ने शुक्रवार रात को महिला रिसर्चर तांग जुआन को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया
तांग जुआन चीनी सेना की सक्रिय सदस्य, पहचान छिपाने के लिए सेन फ्रांसिस्को में बनी लैब असिस्टेंट
तीन अन्य चीनी जासूसों की तलाश में जुटी एफबीआई, यूएस सीमा पर हाई अलर्ट जारी
वॉशिंगटन
चीन पर बार-बार जासूसी करने का आरोप लगा रहे अमेरिका ने शुक्रवार रात को सैन फ्रांसिस्को की डिप्लोमैटिक फेसेलिटी से तांग जुआन को गिरफ्तार किया है। एफबीआई ने 37 साल की इस चीनी महिला पर जासूसी का आरोप लगाया है। सूत्रों के अनुसार, खुफिया एजेंसियां तीन और चीनी जासूसों की खोज कर रही हैं जो अमेरिका में ही कहीं छिपे हुए हैं।
चीनी सेना की मेंबर है तांग जुआन
अमेरिकी मीडिया के अनुसार, तांग जुआन चीनी सेना पीएलए की सक्रिय मेंबर है। पिछले दो साल से वह अपनी पहचान छिपाने के लिए अमेरिका के डेविड रिसर्च लैब में असिस्टेंट की नौकरी कर रही थी। इस नौकरी की आड़ में वह अमेरिका में जासूसी का काम करती थी।
अमेरिकन अंग्रेजी बोलने के कारण बनाया गया जासूस
बताया जा रहा है कि तांग जुआन ने पेइचिंग से बायोलॉजी में ग्रेजुएशन करने के बाद चीनी सेना के लैब में काम किया। इस दौरान उसपर चीनी सेना की नजर पड़ी और उसकी अमेरिकन लहजे में अच्छी अंग्रेजी बोलने की काबिलियत को देखते हुए जासूसी करने का टॉस्क सौंपा गया।
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में लैब असिस्टेंट की नौकरी करने के बावजूद तांग जुआन लगातार चीन के विभिन्न दूतावासों में जाती हुई देखी गई। जिसके बाद से अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को शक हो गया। यह महिला किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नहीं थी, लेकिन उसके एक साथी ने फेसबुक पर पेइचिंग में आर्मी यूनिफॉर्म पहने उसकी एक तस्वीर शेयर कर दी। जिसके बाद से खुफिया एजेंसियों ने उसकी निगरानी शुरू कर दी।
US के तीन न्यूक्लियर एयरक्राफ्ट कैरियर तैनात
अमेरिका ने पहले ही ताइवान के समीप अपने तीन न्यूक्लियर एयरक्राफ्ट कैरियर को तैनात कर दिया है। जिसमें से दो ताइवान और बाकी मित्र देशों के साथ युद्धाभ्यास कर रहे हैं, वहीं तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर जापान के पास गश्त लगा रहा है। अमेरिका ने जिन तीन एयरक्राफ्ट कैरियर को प्रशांत महासागर में तैनात किया है वे यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट, यूएसएस निमित्ज और यूएसएस रोनाल्ड रीगन हैं।
अमेरिका के पास दुनिया की सबसे आधुनिक सेना और हथियार हैं। दुनियाभर के देशों की सैन्य ताकत का आंकलन करने वाली ग्लोबल फायर पॉवर इंडेक्स के अनुसार 137 देशों की सूची में आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के मामले में अमेरिका दुनिया के बाकी देशों से बहुत आगे है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, अमेरिका के दुनिया में 800 सैन्य ठिकाने हैं। इनमें 100 से ज्यादा खाड़ी देशों में हैं। जहां 60 से 70 हजार जवान तैनात हैं।
एशिया में चीन की विस्तारवादी नीतियों से भारत को सबसे ज्यादा खतरा है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण लद्दाख में चीनी फौज के जमावड़े से मिल रहा है। इसके अलावा चीन और जापान में भी पूर्वी चीन सागर में स्थित द्वीपों को लेकर तनाव चरम पर है। हाल में ही जापान ने एक चीनी पनडुब्बी को अपने जलक्षेत्र से खदेड़ा था। चीन कई बार ताइवान पर भी खुलेआम सेना के प्रयोग की धमकी दे चुका है। इन दिनों चीनी फाइटर जेट्स ने भी कई बार ताइवान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है। वहीं चीन का फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया के साथ भी विवाद है।
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स, इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के आंकड़ों के मुताबिक, पूरे एशिया में चीन के चारों ओर 2 लाख से ज्यादा अमेरिकी सेना के जवान हर वक्त मुस्तैद हैं और किसी भी अप्रत्याशित हालात से निपटने में भी सक्षम हैं। वहीं चीन की घेराबंदी में अमेरिका और अधिक संख्या में एशिया में अपनी सेना को तैनाक करने की तैयारी कर रहा है। इससे विवाद और गहराने के आसार हैं। जानिए एशिया मे कहां-कहां है अमेरिकी सैन्य ठिकाने-
मालदीव के पास स्थित डियेगो गार्सिया में अमेरिकी नेवी और ब्रिटिश नेवी मौजूद है। यह द्वीप उपनिवेश काल से ही ब्रिटेन के कब्जे में है और हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस लोकेशन से चीनी नौसेना की हर एक मूवमेंट पर नजर रखी जा सकती है।
जापान में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से ही अमेरिकी सेना मौजूद है। एक अनुमान के मुताबिक यहां अमेरिकी नेवी, एयरफोर्स और आर्मी के कुल 10 बेस हैं जहां एक लाख से ज्यादा अमेरिकी सैनिक तैनात हैं। अमेरिका और जापान में हुई संधि के अनुसार इस देश की रक्षा की जिम्मेदारी यूएस की है। यहां से साउथ चाइना सी पर भी अमेरिका आसानी से नजर रख सकता है।
प्रशांत महासागर में स्थित इस छोटे से द्वीप पर अमेरिकी सेना की महत्वपूर्ण रणनीतिक मौजूदगी है। इस द्वीप से अमेरिकी सेना न केवल प्रशांत महासागर में चीन और उत्तर कोरिया की हरकतों पर नजर रख सकता है बल्कि उन्हें मुंहतोड़ जवाब देने और नेवल ब्लॉकेज लगाने में बड़ी भूमिका अदा कर सकता है। यहां 5000 अमेरिकी सैनिकों की तैनाती है।
उत्तर कोरिया के कोप से बचाने के लिए दक्षिण कोरिया में अमेरिकी फौज तैनात है। जिसमें आर्मी, एयरफोर्स, मरीन कॉर्प और यूएस नेवी के जवान शामिल हैं। यहां से अमेरिका चीन की हरकतों पर भी निगाह रखता है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यहां 28500 ट्रूप्स तैनात हैं।
चीन के नजदीक फिलीपींस में भी अमेरिकी सेना का बेस मौजूद है। हाल मे ही फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटर्टे ने अमेरिका के साथ दो दशक पुराने विजिटिंग फोर्सेज एग्रीमेंट (VFA)को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। बता दें कि 2016 में सत्ता में आने के बाद से रोड्रिगो डुटर्टे का झुकाव चीन की तरफ ज्यादा था। जिस कारण अमेरिका से फिलीपीन्स की तल्खियां भी बढ़ी थी।
ताइवान में अमेरिकी सेना का कोई स्थायी बेस नहीं है, लेकिन यहां अमेरिकी सेना अक्सर ट्रेनिंग और गश्त को लेकर आती जाती रहती है। वर्तमान समय में भी अमेरिका के दो एयरक्राफ्ट कैरियर इस इलाके में तैनात हैं। अमेरिका शुरू से ही ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थक रहा है। हाल के दिनों में चीन से बढ़ते टकराव के बाद से अमेरिका ने पूर्वी चीन सागर और ताइवान की खाड़ी में अपनी उपस्थिति दर्ज करवानी शुरू कर दी है।
अफगानिस्तान में अमेरिका के 14 हजार सैनिक मौजूद हैं। इसके अलावा यहां गठबंधन सेनाओं के आठ हजार सैनिक भी हैं जो तालिबान के खिलाफ अक्सर कार्रवाईयों को अंजाम देते रहते हैं। हालांकि अमेरिका ने हाल के दिनों में अफगानिस्तान में तैनाक अपने सैनिकों की जानकारी नहीं दी है। अमेरिकी सैनिक बड़े पैमाने पर अफगानिस्तान की सेना को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं।
सिंगापुरएसेसन द्वीपकजाखिस्तान
ह्यूस्टन के चीनी दूतावास को करती थी रिपोर्ट
कहा जा रहा है कि चीन की यह महिला जासूस ह्यूस्टन स्थित चीनी काउंसलेट को रिपोर्ट करती थी। ऐसे में इस काउंसलेट के बंद होने के बाद इसके गायब होने का शक बढ़ गया था। जिसके बाद तांग को गिरफ्तार कर लिया गया। ऐसा भी आरोप है कि ह्यूस्टन में चीनी काउंसलेट में जिन कागजों को आग लगाई गई थी उन्हें इन्ही जासूसों ने भेजा था। जिसकी जांच के लिए अब फोरेंसिक एक्सपर्ट की टीम भेजी जा रही है।
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Web Title us caught chinese female spy tang juan from san francisco consulate chinese researcher updates(Hindi News from Navbharat Times , TIL Network)
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